सार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद जयराम रमेश ने बैंकों में अग्निवीर के तर्ज पर कर्मचारियों की बहाली के फैसले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह पिछले दरवाजे से निजीकरण का नया तरीका है।
New Delhi : सेना में अग्निवीरों की तर्ज पर अब बैंकों में भी कर्मचारियों की बहाली होगी। यह कर्मचारी कॉन्ट्रेक्ट पर रखे जाएंगे। देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक अपना खर्च कम करने के लिए मानव संसाधन संबंधित मुद्दों के लिए एक अलग कंपनी शुरू करने जा रहा है। स्टेट बैंक की ऑपरेशन और सपोर्ट सब्सिडियरी को हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। शुरुआत में यह कंपनी ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं में कर्मचारियों का प्रबंधन करेगी।
बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों की माने तो यह कदम उठाकर बैंक अपना कॉस्ट-टू-इनकम रेश्यो कम करना चाहता है, जो अभी इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के हिसाब से बहुत ऊंचा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरे देश में एसबीआई ने बैंक शाखाओं का एक बहुत बड़ा नेटवर्क स्थापित कर रखा है। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में एसबीआई के कुल ऑपरेशन खर्च में वेतन का हिस्सा करीब 45.7 फीसदी था और सेवानिवृत्ति लाभ व अन्य प्रोविजन की हिस्सेदारी 12.4 फीसदी है।
ऑल इण्डिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी ने बताया कि स्टेट बैंक ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेस जिन कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी वो सभी नियुक्तियां अनुबंध के आधार पर होंगी। अनुबंध के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को एसबीआई के स्थायी कर्मियों को मिलने वाले सभी लाभ नहीं मिल सकेंगे।
सेना के बाद मोदी सरकार ने पब्लिक सेक्टर के बैंक में कॉन्ट्रैक्ट पर रोजगार देने की तैयारी शुरू कर दी है। यह पिछले दरवाजे से निजीकरण का नया तरीका है।
अग्निवीर बहाना है, पूरे सार्वजनिक क्षेत्र में कॉन्ट्रैक्ट व्यवस्था लाना है। pic.twitter.com/BwM7GDT9dW
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 18, 2022
दूसरे बैंक भी बढ़ा सकते हैं कदम
इस नई व्यवस्था का असर पूरी बैंकिंग इंडस्ट्री पर दिखाई पड़ेगा। एसबीआई ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेस भारतीय बैंकिंग जगत में अपनी तरह की पहली सब्सिडियरी होगी। हालांकि अब अन्य बैंक भी इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक कई बैंक पूर्व में आरबीआई के पास इस तरह की सब्सिडियरी बनाने के लिए प्रस्ताव दे चुके हैं लेकिन तब आरबीआई ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। लेकिन अब एसबीआई को अनुमति मिलने के बाद अन्य बैंक भी अपने पुराने प्रस्तावों को एक बार फिर आगे बढ़ाने के लिए आरबीआई से ऐसी सब्सिडियरी के लिए मंजूरी मांग सकते हैं। इस प्रकार यह अग्निवीर की तरह बैक में भी एक नई बहाली योजना होगी।