मुख्य बातें
गौ-मूत्र खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य बना छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री ने हरेली पर्व से राज्य में गौ-मूत्र खरीदी का किया शुभारंभ
गौ-मूत्र विक्रय कर मुख्यमंत्री बने प्रथम विक्रेता
Cow Urine: छत्तीसगढ़ में 28 जुलाई हरेली पर्व से शुरू हुई गौ-मूत्र खरीदी की सरकारी योजना के पहले दिन 2306 लीटर गो-मूत्र खरीदा गया. सबसे ज्यादा 307 लीटर गो-मूत्र की खरीदी कबीरधाम जिले में हुई. बालोद जिले में पहले दिन 287 लीटर और महासमुंद जिले में 184 लीटर गो-मूत्र खरीदा गया. राज्य में 4 रुपए लीटर की दर से गो-मूत्र खरीदी की शुरुआत फिलहाल 63 गांवों के गौठानों में हुई है. आने वाले समय में राज्य के सभी गौठानों में इसकी खरीदी होने लगेगी.
गौठानों में जैविक खाद के साथ-साथ अब जैविक कीटनाशक का होगा उत्पादन
गोधन न्याय योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ में आज से 2 साल पहले 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से हुई थी। इसके तहत गौठनों में पशुपालक ग्रामीणों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। देश-दुनिया में गोबर की खरीदी की गोधन न्याय योजना की बेजोड़ सफलता ही गौ-मूत्र की खरीदी का आधार बनी है। गोबर खरीदी के जरिए बड़े पैमाने पर जैविक खाद का निर्माण और उसके उपयोग के उत्साहजनक परिणामों को देखते हुए अब गोमूत्र की खरीदी कर इससे कीट नियंत्रक उत्पाद, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर बनाए जाएंगे। इसके पीछे मकसद ये भी है कि खाद्यान्न उत्पादन की विषाक्तता को कम करने के साथ ही खेती की लागत को भी कम किया जा सके।
इसके लिए आवश्यक तैयारियों के साथ-साथ गौठान समितियों के सदस्यों और महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को गो-मूत्र की खरीदी से लेकर उससे जैविक कीटनाशक ,जीवामृत-ग्रोथ प्रमोटर बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर राज्य में गोबर के बाद अब गो-मूत्र खरीदी का उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ावा देकर खाद्यान्न की विषाक्तता में कमी लाना तथा खेती की लागत को कम करना है. राज्य में गो-मूत्र खरीदी योजना के पहले हितग्राही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद बने.
2 साल पहले हुई थी गोधन न्याय योजना की शुरुआत
उन्होंने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित हरेली तिहार के अवसर पर 5 लीटर गो-मूत्र, चंदखुरी की निधि स्व-सहायता समूह को 20 रुपये में बेचकर राज्य के पहले विक्रेता भी बने. छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो पशुपालक ग्रामीणों से दो रुपए किलो में गोबर खरीदी के बाद अब 4 रूपए लीटर में गो-मूत्र की खरीदी कर रहा है. इस पहल से राज्य में पशुपालकों की आय में बढ़ोत्तरी और जैविक खेती को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.
गोबर की खरीदी और इससे जैविक खाद के निर्माण से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है. गो-मूत्र खरीदी का मकसद इससे गौठानों में जैविक कीटनाशक, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर का निर्माण करना है, ताकि राज्य के किसानों को कम कीमत पर जैविक कीटनाशक सहजता से उपलब्ध कराया जा सके. छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत 2 साल पहले 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से ही हुई थी.
आज हरेली पर्व के शुभ अवसर पर हमने राज्य में गौ-मूत्र खरीदी का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर चंदखुरी की निधि स्व-सहायता समूह को 5 लीटर गौ-मूत्र बेचकर मैं पहला विक्रेता बना और मुझे 20 रूपए की आय प्राप्त हुई।
गौ-मूत्र की खरीदी करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है।#हमर_हरेली_तिहार pic.twitter.com/HIBnkf2FbC
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) July 28, 2022
गो-मूत्र से बन रहा जैविक कीटनाशक
इसके तहत गौठनों में पशुपालक ग्रामीणों से गोबर कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का निर्माण और उसका खेती में उपयोग किया जा रहा है. गो-मूत्र से जैविक कीटनाशक तैयार कर किसानों को 50 रुपये लीटर में उपलब्ध कराया जाएगा.बस्तर जिले के सबसे ज्यादा 7 गौठानों में गो-मूत्र की खरीदी की जा रही है, जबकि राजनादगांव और रायपुर जिले के 3-3 गौठनों में गो-मूत्र खरीदा जा रहा है.
4 रुपए लीटर खरीदा जा रहा गोमूत्र
बाकी जिलों के 2-2 गौठानों में गो-मूत्र की खरीदी शुरु की गई है. पहले दिन 28 जुलाई को कोरिया जिले में 110 लीटर, बलरामपुर जिले में 45 लीटर, सूरजपुर में 37 लीटर, सरगुजा में 163 लीटर, जशपुर में 24 लीटर, रायगढ़ में 49 लीटर, कोरबा में 82 लीटर, जांजगीर-चांपा में 36 लीटर, बिलासपुर में 39 लीटर, मुंगेली में 52 लीटर , गौरेला -पेंड्रा- मरवाही जिले में 15 लीटर गोमूत्र की खरीदी हुई.