Viral News : चेन्नई एयरपोर्ट पर एक यात्री को कार्डियक अरेस्ट आ गया। इस दौरान वहां मौजूद CISF के जवान ने बिना देर किए कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) देकर उनकी जान बचाई। फिलहाल शख्स को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि जवान ने सही समय पर CPR देकर उसकी जान बचा ली। CPR से मरीज की पल्स रेट में सुधार हुआ और उसकी जान बच सकी।
25 सितंबर को CISF ने शेयर किया वीडियो
CISF ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर घटना का वीडियो 25 सितंबर को शेयर किया था, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल है। लोग जवान की समझदारी की जमकर तारीफ कर रहे हैं। यूजर्स जवान को सुपर हीरो और सुपरमैन जैसे नाम दे रहे हैं। एक यूजर्स ने जवान की तारीफ करते हुए लिखा सर आप सुपर हीरो हो।
सीपीआर क्या है और इसका उपयोग कब करना चाहिए?
सीपीआर का फुल फॉर्म कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन Cardiopulmonary resuscitation (CPR) है। यह इमरजेंसी मेडिकल टेक्निक है जिसके जरिए किसी व्यक्ति की सांस या दिल के रुक जाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डिएक अरेस्ट होता है। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान, हृदय मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में खून पंप नहीं कर सकता है। उपचार के बिना मृत्यु मिनटों में हो सकती है। सीपीआर में मरीज की छाती पर दबाव बनाया जाता है जिससे ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
क्या सीपीआर से मरीज की जान बच सकती है?
CDC के अनुसार, वर्तमान में अस्पताल के बाहर कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित लगभग 10 में से 9 लोगों की मृत्यु हो जाती है। सीपीआर के जरिए इस समस्या को कम किया अजा सकता है। यदि कार्डियक अरेस्ट के पहले कुछ मिनटों में मरीज को सीपीआर दिया जाए, तो मरीज के जीवित रहने की संभावना को दोगुना या तिगुना हो सकती है।
सीपीआर कैसे दिया जाता है?
अपने दोनों हाथों को मरीज की छाती के बीच में रखें और 100 से 120 प्रति मिनट की दर से जोर से छाती पर धक्का दें। हर धक्के के बाद छाती को अपनी सामान्य स्थिति में आने दें। मेडिकल इमरजेंसी हेल्प नहीं आने तक ऐसा करते रहें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कब पड़ती है CPR देने की जरूरत
कोई व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाए और वह सांस न ले पा रहा हो।
किसी एक्सीडेंट के दौरान व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ हो।
अगर कोई व्यक्ति पानी में डूब गया हो तो उसे बाहर निकालने के बाद।