Zara Hatke : छत्तीसगढ़ में पहली बार रायपुर के हीरापुर-जरवाय गौठान में गाय के गोबर से पेंट और पुट्टी बनाई जा रही है। इसके लिए लगभग 25 लाख की लागत से 5 मशीनें लगाई गई हैं। इस पेंट और पुट्टी की डिमांड आने लगी है। दैनिक भास्कर की टीम ने गोबर से पेंट और पुट्टी बनाने की प्रक्रिया को जानने की कोशिश की। मौका मुआयना करने पर वहां इंजीनियर आलोक साहू और स्व सहायता समूह की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे मिलीं। इन्होंने बताया कि 2 दिन पुराने गाय के गोबर को पहले डी वाटर कर्लिंग मशीन में डाला जाता है।
गोबर में पानी मिलाया जाता है। लगभग 2 घंटे में गोबर का घोल तैयार होता है। फिर से गोबर के घोल को डी वाटर कर्लिंग मशीन में डालकर पेंट तैयार करने के लिए वर्णक रंग, ऐक्रेलिक पाउडर, टाइटेनियम डाइऑक्साइड, सफेद रंग का बाइंडर, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड जैसे कई अन्य सामग्री मिलाई जाती है। फिर इन सबको हाई स्पीड डिसपेंसर मशीन में मिक्स किया जाता है। इसके बाद वाइट कलर में पेंट तैयार होता है। इसी तरह पुट्टी में होता है। पुट्टी को 2 से 3 तीन दिन सूखा कर पैकेजिंग की जाती है।
क्या है गोबर से बने पेंट की खासियत
बता दें कि ‘खादी प्राकृतिक पेंट’ नामक यह पेंट पर्यावरण अनुकूल, विष-रहित है। गाय के गोबर से बना पेंट सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम तथा अन्य भारी धातुओं से भी मुक्त है। यह पेंट किफायती और गंधहीन है। इस पेंट को भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा भी प्रमाणित किया गया है। खादी प्राकृतिक पेंट दो रूपों यानी डिस्टेंपर पेंट तथा प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट में उपलब्ध है। इस प्रौद्योगिकी से पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के लिए कच्चे माल के तौर पर गाय के गोबर की खपत बढ़ेगी और किसानों तथा गोशालाओं की आय भी बढ़ेगी। एक अनुमान के अनुसार किसानों/गौशालाओं की प्रति वर्ष, प्रति मवेशी लगभग 30,000 रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
पेंट बनाने के लिए कुल 8 घंटे का प्रोसेस
जरवाय गौठान में लगी मशीन से 8 घंटे में एक हजार लीटर पेंट तैयार किया जा सकता है। यह क्वालिटी में ब्रांडेड कंपनियों के पेंट जैसा ही है। इसका मूल्य भी अन्य पेंट के मुकाबले कम रखा गया है। पेंट बनाने के लिए ज्यादा मात्रा में गोबर की आवश्यकता नहीं है। 50 किलो गोबर से 100 लीटर पेंट तैयार हो रहा है।
कैसे लगा सकते हैं गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री !
इस पेंट की फैक्टरी में 12-15 लाख की लागत आएगी। अगर कोई स्टार्टअप के जरिए शुरू करना चाहे इसके लिए खादी ग्रामोद्योग कमीशन के द्वारा पांच हजार रुपये में सात दिन का कोर्स ( Gobar Paint Training) जयपुर में किया जा रहा है। अभी इसके लिए एक फिल्म बना कर एक ऑडिटोरियम में स्क्रीनिंग की भी योजना है। इसे एक समय में 2200 लोगों को दिखा सकेंगे। ये एक तरह से शॉर्ट ट्रेनिंग होगी। इस तरह से इस बारे में जागरूकता फैलाकर लोगों की गरीबी दूर कर रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इससे गांव में भी फैक्ट्री खुल सकेंगी।