Jharkhand News : खनन लीज मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता पर चुनाव आयोग के फैसले का सीलबंद लिफाफा राजभवन पहुंच चुका है। चुनाव आयोग की ओर से ऐसे मामलों में पहले दिए गए फैसलों के कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराने जाने की आशंका है। भाजपा सांसद निशिकांत दूबे के ट्विट से इस आशंका को बल मिला है। हेमंत सोरेन से जुड़े मामलों में निशिकांत दूबे के टवीट से किए जाते रहे खुलासे अभी तक सही साबित हुए हैं। विधायक सरयू राय ने भी ट्विट कर हेमंत सोरेन के तीन साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित होने की बात कही है।
बताया जा रहा है कि वे 3 बजे तक इस पर फैसला ले सकते हैं। फिलहाल इसे लेकर राजभवन में अफसरों की मीटिंग चल रही है।
EC के पत्र पर सोरेन ने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा नेता, सांसद और उनके कठपुतली जर्नलिस्टों ने रिपोर्ट तैयार की है। नहीं तो ये सील्ड होती। संवैधानिक संस्थाओं और एजेंसियों को भाजपा दफ्तर ने टेकओवर कर लिया है। भारतीय लोकतंत्र में ऐसा कभी नहीं देखा गया।
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सीएम सोरेन 4.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, जिसमें वह अपनी बात रखेंगे।
कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम CM हाउस पहुंचे। उन्होंने कहा कि हम लोग एक साथ हैं। जो कुछ भी जानकारी आ रही है, मीडिया के माध्यम से आ रही है। राजभवन को भेजी रिपोर्ट में क्या लिखा, इसकी पुष्टि अभी नहीं।
JMM ने विधायकों की बैठक बुलाई है। कई विधायक मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचे। कांग्रेस ने सभी विधायकों को रांची में रहने के निर्देश दिए हैं।
सदस्यता गई तो आगे क्या?
अगर हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होती है तो उन्हें इस्तीफा देकर फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी होगी। इसके बाद 6 महीने के अंदर उन्हें दोबारा विधानसभा चुनाव जीतना होगा। अगर चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अयोग्य घोषित किया जाता है तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। ऐसे में वे परिवार या पार्टी से किसी को कमान सौंप सकते हैं।
हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं
झारखंड हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील ए. अल्लाम ने दैनिक भास्कर को बताया कि चुनाव आयोग अगर किसी विधायक या मंत्री को लाभ का पद रखने के मामले में दोषी पाता है तो उनकी सदस्यता समाप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि सदस्यता रद्द होने पर वे इस मामले में हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। आर्टिकल-32 के मामले में सीधे सुप्रीम कोर्ट में भी अपील कर सकते हैं। लेकिन ये सभी विकल्प चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद ही निर्भर करता है।
UPA खेमे में चर्चा, हेमंत का विकल्प कौन?
चुनाव आयोग के फैसले के दोनों पक्षों को लेकर UPA रेडी मोड में हैं। अगर फैसले से सोरेन की राजनीतिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा तो सत्तापक्ष कम्फर्टेबल मोड में रहेगा। दूसरी तरफ झामुमो इस बात को लेकर बेचैन है कि अगर कमीशन का फैसला सोरेन के खिलाफ गया तो ऐसी स्थिति में उनके विकल्प के रूप में किसे चुना जा सकता है। हालांकि, इसको लेकर पार्टी और UPA प्लेटफार्म पर अनौपचारिक रूप से तीन नामों की चर्चा हुई है।
उसमें सबसे पहला नाम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है। दूसरे और तीसरे नंबर पर जोबा मांझी और चम्पई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं। कांग्रेस ने भी इन नामों पर अभी तक नहीं किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है।