सार
लोग बीमार होने पर उसके लक्षण, बचाव और उसके इलाज को लेकर भी इंटरनेट पर सर्च करते हैं फिर किसी डॉक्टर से संपर्क करते हैं आप सोचिये अगर कोई डॉक्टर ही ऐसा करने लगे और इंटरनेट से खोज कर मरीज़ को दवाई लिखे तो क्या होगा !
Hazaribagh News : हजारीबाग मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में डेढ़ साल से जूनियर रेजिडेंट के पद पर कार्यरत रहे डॉ राम बाबू प्रसाद जांच में फर्जी निकला। इसके विरुद्ध सदर थाना में मामला दर्ज होने के महज 1 घंटे के भीतर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
देर शाम मेडिकल जांच कराने के बाद जेपी कारा भेज दिया गया। सदर पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी की सूचना मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट डॉ विनोद कुमार को भी दे दी। चिकित्सा का मोबाइल भी पुलिस ने जब्त कर लिया है।
मोबाइल से टेक्निकल सेल के माध्यम से उससे जुड़े तार को खंगालने में पुलिस जुट गई है। इस मामले का उद्भेदन 9 मार्च को दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से किया था। दैनिक भास्कर लगातार इस मामले काे प्रमुखता से उठाता रहा।
इस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए मेडिकल कॉलेज सुपरिटेंडेंट डॉ विनोद कुमार ने उसके सारे दस्तावेज को मेडिकल काउंसिल आफ बिहार भेजा था और इसकी जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। 12 मई को मेडिकल काउंसिल ऑफ बिहार ने हजारीबाग मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल प्रबंधन को रिपोर्ट भेजा जिसमें कहा कि इस नाम के हमारे यहां से यह चिकित्सक नहीं है।
यह रजिस्ट्रेशन नंबर मुजफ्फरपुर में पीजी कर रहे डॉक्टर रामबाबू प्रसाद का है। मेडिकल कॉलेज दरभंगा से डिग्री प्राप्त करने का सारा दस्तावेज फर्जी है। इनके निजी प्रमाण पत्र भी गलत है। मेडिकल काउंसिल ऑफ बिहार के द्वारा सारे दस्तावेज को फर्जी बताए जाने के बाद सुपरिटेंडेंट डॉ विनोद कुमार ने 12 मई को ही सदर थाना में आवेदन दिया लेकिन दस्तावेज अधूरा रहने के कारण एफआईआर में विलंब हुआ।