झारखण्ड : सरकार दावे कर रही है कि कोरोना के नए वैरिएंट से लड़ने के लिए अब पूरी तरह तैयार है झारखण्ड लेकिन वैक्सिनेशन के आंकड़े इसकी सबूत नहीं दे रहे। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज बहुत जरूरी है, लेकिन झारखण्ड में इसे लेने वालों की गिनती बहुत कम है। झारखंड में अभी तक लगभग 10 फीसद एडल्ट्स को ही बूस्टर डोज लग है। कोरोना का सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों को है लेकिन अभी तक सिर्फ 11 प्रतिशत बुजुर्गों ने ही सतर्कता टीका ली है।
10 ऐसे जिले जहां 10 प्रतिशत बुजुर्गों ही लग पाई बूस्टर डोज !
यदि जिलों की बात करें तो 10 जिले ऐसे हैं जहां 10 प्रतिशत से भी कम बुजुर्गों ने कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लिया है। गिरिडीह , गढ़वा, चतरा, कोडरमा, में तो बूस्टर डोज लेने वाले बुजुर्गों की संख्या 5 प्रतिशत से भी कम है। वहीं, देवघर, साहिबगंज और दुमका में 9 फीसद , रामगढ़ और पलामू में 7 फीसद , गिरिडीह में 5 तो गढ़वा और कोडरमा में 4 प्रतिशत बुजुर्गों को ही टीका लग पाई हैं।
केवल 50 फीसद हेल्थ वर्कर्स को लगी बूस्टर डोज !
झारखण्ड में 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों की जन-संख्य 2 करोड़ से भी अधिक है, इसमें से 76 फीसद को दोनों डोज का टीका लग चुका है। दूसरी तरफ सिर्फ 10 फीसद लोगों को ही सतर्कता डोज का टीका लगा है। राज्य में 58 फीसद स्वास्थ्य कार्यकर्ता तथा 47 फीसद फ्रंटलाइन वर्कर्स को बूस्टर डोज टीका लग पाई है।
राज्य में कोविशील्ड तथा कोर्बोवैक्स वैक्सीन खत्म हो चुकी है। इससे ये दोनों वैक्सीन डोज केंद्रों पर नहीं लगाई जा रही है। झारखण्ड में 13 लाख सिर्फ कोवैक्सीन उपलब्ध है। इससे दूसरी और सतर्कता डोज के लिए लोग वैक्सीन का पूरी तरह वेट कर रहे हैं।
वहीं बता दें कि झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले दिनों वीडियो कान्फ्रेसिंग के श्रेणी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया से राज्य को उचित वैक्सीन उपलब्ध कराने का मांग किया है।