सार
जल्द ही बैंक होम लोन और बैंक लोन की EMI बढ़ा सकते हैं। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर में 50 बीपीएस बढ़ाने के लिए मतदान किया है। अब यह दर 4.90 फीसदी हो गई है।
RBI Repo Rate Hike : बढ़ती महंगाई से चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई है। यानी होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा होने वाला है और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी। ब्याज दरों पर फैसले के लिए 6 जून से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग चल रही थी। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्याज दरों पर लिए फैसलों की जानकारी दी।
रेपो रेट और EMI का कनेक्शन
रेपो रेट वो दर होती है जिस पर RBI से बैंकों को कर्ज मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को RBI पैसा रखने पर ब्याज देती है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं। यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, साथ ही EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉमर्शियल बैंक को केंद्रीय बैंक से उच्च कीमतों पर पैसा मिलता है, जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है।
0.50% रेट बढ़ने से कितना फर्क पड़ेगा
मान लीजिए सुदर्शन नाम के एक व्यक्ति ने 6.5% के रेट पर 20 साल के लिए 10 लाख रुपए का हाउस लोन लिया है। उसकी लोन की EMI 7,456 रुपए है। 20 साल में उसे इस दर से 7,89,376 रुपए का ब्याज देना होगा। यानी, उसे 10 लाख के बदले कुल 17,89,376 रुपए चुकाने होंगे।
सुदर्शन के लोन लेने के एक महीने बाद RBI रेपो रेट में 0.50% का इजाफा कर देता है। इस कारण बैंक भी 0.50% ब्याज दर बढ़ा देते हैं। अब जब सुदर्शन का एक दोस्त उसी बैंक में लोन लेने के लिए पहुंचता है तो बैंक उसे 6.5% की जगह 7% रेट ऑफ इंटरेस्ट ऑफर करता है।
सुदर्शन का दोस्त भी 10 लाख रुपए का ही लोन 20 सालों के लिए लेता है, लेकिन उसकी EMI 7753 रुपए की बनती है। यानी सुदर्शन की EMI से 297 रुपए ज्यादा। इस वजह से सुदर्शन के दोस्त को 20 सालों में कुल 18,60,717 रुपए चुकाने होंगे। ये आशीष की रकम से 71 हजार ज्यादा है।
मई-जून में रिटेल महंगाई दर के 7.5 फीसदी रहने का अनुमान
आरबीआई की तरफ से रिटेल महंगाई देर अप्रैल-जून की तिमाही में 7.5 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया गया है। जबकि दूसरी तिमाही के दौरान रिटेल महंगाई दर 7.4% रहने का अनुमान है। जबकि वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में यह आंकड़ा 6.2 फीसदी हो सकता है। जबकि चौथी तिमाही में रिटेल महंगाई दर 5.8 फीसदी हो सकती है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 31 मई को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी अनुमानों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी विकास दर के 8.7% रहने का अनुमान है। जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी महामारी यानी 2019-20 के स्तर से ज्यादा है।
महंगाई बढ़ने से RBI चिंतित
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की इमरजेंसी मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब रूस-यूक्रेन जंग के कारण कच्चे तेल से लेकर मेटल प्राइस में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। ऐसे में पूरी दुनिया में महंगाई बड़ी समस्या बनी हुई है। मई में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 7.79% हो गई थी। ये महंगाई का 8 साल का पीक था।
क्या होता है रेपो रेट
आरबीआई जिस रेट पर कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट (Repo Rate) कहा जाता है. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे. इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है.
रिवर्स रेपो रेट
रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर जिस रेट पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट (Reverse repo rate) कहते हैं. बैंकों के पास जो अतिरिक्त कैश होता है उसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा दिया जाता है. इस पर बैंकों को ब्याज भी मिलता है.