सार
झारखंड में बालू की किल्लत से हालात गंभीर हो गए हैं. बालू की कमी से रांची सहित पूरे राज्य में प्राइवेट बिल्डर्स के काम प्रभावित हुए हैं. कई प्रोजेक्ट्स का काम रुक गया है.
Jharkhand Sand Shortage: बालू घाटों की बंदोबस्ती पर लगी रोक को NGT ने हटा लिया है. इसके साथ ही अब बालू घाटों की टेंडर प्रक्रिया शुरू करने में JSMDC जुट गया है. वहीं, पूर्व में जिलों को भेजे गये बालू घाटों के फाइनेंशियल बिड की प्रक्रिया भी अब शुरू होने जा रही है. दूसरी तरफ, पूर्व से बंदोबस्त 18 बालू घाटों से बारिश की वजह से बालू उठाव पर रोक है. यह रोक 10 जून से 15 अक्तूबर तक रहती है. 15 अक्तूबर से यह रोक हटने पर 18 बालू घाटों से बालू का उठाव भी आसानी से हो सकेगा. वर्तमान में स्टॉकिस्ट या दूसरे राज्यों से बालू की आपूर्ति हो रही है. पर 15 अक्तूबर के बाद से राज्य में बालू की उपलब्धता सुलभ हो सकेगी.
क्या है मामला
गौरतलब है कि कैटेगरी के दो के सभी बालू घाटों का संचालन जेएसएमडीसी को ही करना है. कैटेगरी दो में राज्य में 608 बालू घाट चिह्नित हैं. इन घाटों को क्षेत्रफल के अनुसार तीन श्रेणी यानी कैटेगरी ए में 10 हेक्टेयर से कम, कैटेगरी बी में 10 हेक्टेयर से 50 हेक्टेयर और कैटेगरी सी में 50 हेक्टेयर से अधिक के बालू घाटों को रखा गया है.
MDO की नियुक्ति के लिए किया गया था टेंडर
जेएसएमडीसी द्वारा इन बालू घाटों के संचालन के लिए माइंस डेवलपमेंट अॉपरेट (एमडीओ) की नियुक्ति के लिए टेंडर किया गया था. इसके तहत प्रथम चरण में जेएसएमडीसी द्वारा एजेंसी को सूचीबद्ध कर लिया गया है. दूसरे चरण में एजेंसी के चयन के लिए फायनेंशियल बिड की प्रक्रिया जिलावार संबंधित उपायुक्त द्वारा करनी थी. उपायुक्त को संबंधित घाटों के लिए श्रेणीवार सूचीबद्ध एजेंसी में से कैटेगरी ए एवं कैटेगरी बी बालू घाटों के लिए वित्तीय निविदा के माध्यम से एजेंसी का चयन करना था. इसी दौरान पंचायत चुनाव आ गया. इस कारण वित्तीय निविदा नहीं हो सकी. इसके बाद एनजीटी ने टेंडर में विवाद को लेकर बंदोबस्ती पर रोक लगा दी थी.
दोगुनी से तीनगुनी कीमत पर मिल रहा है बालू
कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोग बताते हैं कि झारखंड में बालू की कमी से पूरे राज्य में प्राइवेट बिल्डर्स के काम प्रभावित हुए हैं. कई प्रोजेक्ट्स का काम रुक रुक कर चल रहा है , कालाबाजार में बालू दोगुनी से तीनगुनी कीमत पर मिल रहा है. जो लोग मजबूरी में कालाबाजार से बालू खरीद रहे हैं, उनके प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ गई है.