सार
Chinese Manjha चाइनीज मांझा अन्य मांझों की तरह धागों से नहीं बनता है. यह नायलॉन और एक मैटेलिक पाउडर से मिलकर बनाया जाता है। यह प्लास्टिक का जैसा लगता है और स्ट्रेचेबल होता है। जब इसे खींचते हैं तो यह टूटने के बजाय बढ़ जाता है।
Chinese Manja Death: दिल्ली में एक युवक की गले में चाइनीज मांझा फंस जाने की वजह से मौत हो गई. बाइक से चल रहे युवक का गला मांझे से कट गया था. मृतक युवक का नाम सुमित रंगा बताया गया है. सुमित बाइक से अपने घर जा रहे थे, तभी मुकरबा चौक के पास फ्लाईओवर पर चाइनीज मांझा उनके गले में लिपट गया.
मांझे से गले में ढाई इंच का घाव
दिल्ली पुलिस ने बताया कि 25 जुलाई को मौर्या इन्कलेव पुलिस स्टेशन को पीसीआर कॉल के जरिए एक शख्स के चाइनीज मांझे से घायल होने की जानकारी मिली थी. घायल शख्स को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने शख्स को मृत घोषित कर दिया. मौर्या इन्कलेव पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.
दिल्ली-एनसीआर में इन लोगों ने गवाई जान
25 जुलाई 2022 को दिल्ली के हैदरपुर इलाके में सुमित की मांझे की चपेट में आने से मौत हो गई।
16 अगस्त 2021 को मंगोलपुरी इलाके में एक 23 वर्षीय युवक की मांझे की चपेट में आने से मौत हो गई।
11 मई 2022 को मेरठ के एक युवक की चाइनजीज मांझे से मौत हो गई। युवक बाइक पर था और उसी समय मांझे से युवक की गर्दन बिल्कुल अलग हो गई।
14 अगस्त 2021 को नजफगढ़ निवासी सौरभ दहिया मंगोलपुरी फ्लाईओवर से उतर रहे थे। तभी चाइनीज मांझा गले में फंसा, जिससे उनकी मौत हो गई।
25 अगस्त 2019 को सोनिया विहार की इशिका (5) पिता के साथ बाइक के आगे बैठी थी। खजूरी खास में मांझा बच्ची के गले में अटका, जिससे पूरा गला कट गया और उसकी जान चली गई।
15 अगस्त 2019 को पश्चिम विहार निवासी सिविल इंजीनियर मानव शर्मा (28) बहन के घर से बाइक पर लौट रहे थे। हरि नगर के पास गर्दन में मांझा लिपटा और मौके पर ही दम तोड़ दिया।
12 जुलाई 2019 को बदरपुर फ्लाईओवर पर दीप्ति (3) चाचा के साथ बाइक पर थी। मांझा चाचा की गर्दन में फंसा तो बैलेंस बिगड़ा और बाइक फ्लाईओवर से नीचे गिर गई। दीप्ति की अस्पताल में मौत हुई।
’खुशमिजाज और नेकदिल इंसान थे सुमित’
सुमित के पड़ोसी और रिश्तेदारों का आंबेडकर अस्पताल की मॉर्चरी के बाहर मंगलवार सुबह से ही तांता लगा रहा। हर कोई यही कह रहा था कि सुमित एक नेकदिल और खुशमिजाज इंसान थे। हर किसी का साथ देते। अपने पड़ोसियों के खुशी और गम में शामिल होते। बुजुर्गों का काफी आदर करते। सुमित के चाचा बलराज ने कहा कि पिछले साल कोरोना में एक भाई को खोया, अब जवान भतीजे को खोकर ऐसा लग रहा है, पता नहीं हमारे परिवार को किसकी नजर लग गई है। सुमित सभी रिश्तों को बखूबी निभाना जानता था। हर किसी से बात करना और मिलते जुलते रहना उनका स्वभाव था।