‘बुलबुल के पंख पर बैठकर उड़ान भरते थे वीर सावरकर,’ स्कूली किताब में जुड़ा नया अध्याय

sawarkar ki bulbul ki sawari

विनायक दामोदर सावरकर को लेकर कर्नाटक के सरकारी स्कूल की किताब में अजीबो-गरीब दावे किए गए हैं, जिससे विवाद पैदा हो गया है. कर्नाटक की बीजेपी सरकार इतिहास के रि-राइटिंग के आरोपों में पहले ही विवादों में है और अब रिविजन कमेटी के दावे से विवाद और गहरा गए हैं. यहां हाई स्कूल की एक किताब में कथित रूप से दावे किए गए हैं कि सावरकर पक्षियों के पंख पर बैठकर जेल से बाहर आया करते थे.

पाठ्यपुस्तक में ये नया अध्याय केटी गट्टी के एक यात्रा वृत्तांत से लिया गया है. केटी गट्टी 1911 से 1924 के बीच सेल्युलर जेल गए थे, जहां उस वक्त सावरकर बंद थे.

ये कर्नाटक की स्कूल टेक्स्टबुक में सावरकर (Karnataka Textbook on Savarkar) के जेल के अनुभवों पर लिखा हुआ है. इंडिया टुडे के मुताबिक अध्याय का एक हिस्सा बताता है कि अंडमान निकोबार की जेल में कैद सावरकर हर रोज बाहर निकलते थे और इसके लिए वो पक्षियों (Birds) की मदद लेते थे. रिपोर्ट के मुताबिक अध्याय के एक हिस्से में हैरतअंगेज दावे के साथ लिखा है,

“सावरकर जिस कमरे में कैद थे वहां कोई छोटा-सा छेद तक नहीं था. हालांकि कहीं से बुलबुल वहां आ जाती थी, जिस पर बैठकर सावरकर उड़कर बाहर चले जाते थे और रोज मातृभूमि को देखने आते थे.”

सावरकर पर सवाल पूछ लिया तो जवाब देने में दिक्कत होगी
रिपोर्ट के मुताबिक ये चैप्टर कन्नड़ भाषा में लिखा गया है और 8वीं के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. इसका नाम है ‘कलावन्नू गेडावरू’. लेखक हैं केटी गाटी. इससे पहले किताब में ‘ब्लड ग्रुप’ नाम का अध्याय पढ़ाया जा रहा था, जिसे विजयमाला रंगनाथ ने लिखा था.

दी हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक ये अध्याय सावरकर के जुड़े यात्रा विवरण पर है. इसमें लेखक ने अंडमान की सेल्युलर जेल के बारे में बताया है. ब्रिटिश शासन के दौरान सावरकर को इस जेल में रखा गया था. अब चैप्टर का हिस्सा सामने आया है तो आरोप लग रहे हैं कि अध्याय में सावरकर को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा गया है. दी हिंदू ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पहले इसे लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई गई, लेकिन ‘सावरकर के बुलबुल पर बैठकर जेल से बाहर जाने’ वाला हिस्सा वायरल होते ही कर्नाटक टेक्स्टबुक सोसायटी के पास शिकायतें आना शुरू हो गईं.

रिवीजन कमेटी के अध्यक्ष की सफाई
अब भंग हो चुकी कर्नाटक टेक्स्टबुक रिवीजन कमेटी के अध्यक्ष रोहित चक्रतीर्थ ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि यह पंक्ति एक भाषण से ली गई है न कि एक शाब्दिक दावा है कि सावरकर ने बुलबुल पर उड़ान भरी थी. उन्होंने कहा, “मुझे आश्चर्य है कि क्या कुछ लोगों की बुद्धि इतनी कम हो गई है कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि भाषण का मतलब क्या है.” इससे पहले कांग्रेस के एक नेता ने ट्वीट कर इस दावे की आलोचना की थी.

बीसी नागेश ने कहा है कि लेखक ने अध्याय में जो भी लिखा है, वो ठीक है.

 

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