सार
वैज्ञानिकों ने पहली बार चांद की मिट्टी में पौधे उगाए हैं। जी हां यह घटना किसी हॉलीवुड फिल्म में नहीं, बल्कि सच में हुई है। वैज्ञानिकों को कैसे मिली यह सफलता, पढ़ें आगे
चांद पर इंसानी कॉलोनी बनाना अब आसान हो सकता है. क्योंकि कहीं भी शहर बनाने के लिए सबसे पहले जरूरी वस्तुओं में आता है खाना. अगर उस जगह की मिट्टी उर्वरक नहीं होगी तो फसल कहां से उगेगी. लेकिन वैज्ञानिकों ने अब चांद की मिट्टी में पहली बार पौधे उगाने की सफलता हासिल की है. यह काम आसान नहीं था लेकिन कर दिखाया.
चांद पर भी फसल उगाना आसान नहीं होगा. क्योंकि वहां कि मिट्टी पथरीली है. लंबे समय की अंतरिक्षि यात्राओं के दौरान चांद पर ताजा खाना तो मिलेगा नहीं. आप धरती की मिट्टी तो लेकर जा नहीं सकते. लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी. इसलिए अभी चांद की मिट्टी पर फसल उगाने की टेस्टिंग की गई.
382 किलोग्राम मिट्टी आई थी चांद से
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के अपोलो मिशनों के दौरान कुल मिलाकर 382 किलोग्राम पत्थर चांद से धरती पर लाए गए थे. नासा ने उन पत्थरों को वैज्ञानिकों में बांट दिया. लेकिन ये नहीं पता था कि ये मिट्टी कितने सालों में खत्म होगी. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि अर्टेमिस मिशन्स (Artemis Missions) के दौरान अमेरिका चांद से और मिट्टी लाने की प्लानिंग कर रहा है.
खैर, अभी चांद की जिस मिट्टी में पौधे उगाए गए हैं, वो दो वैक्यूम सील्ड डिब्बों में चंद्रमा से जमीन पर लाए गए थे. इनके बारे में एक स्टडी कम्यूनिकेशंस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है. जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है कि चांद की मिट्टी में पहली बार फूल वाले पौधों को उगाया गया है. हालांकि इस मिट्टी में धरती का पानी और हवा मिलाई गई थी.
The First Plants Have Been Grown In Lunar Soil – But It’s Not Easyhttps://t.co/Fczi6IVGFR pic.twitter.com/A0T2jc3qek
— IFLScience (@IFLScience) May 13, 2022
नासा ने लोन के रूप में दी थी 2 ग्राम मिट्टी
बता दें कि वैज्ञानिकों की इस टीम ने लूनर स्वाइल में पौधे उगाने के लिए एक सिंपल सा प्रयोग किया। अपोलो मिशन 11, 12, और 17 पर गई स्पेस टीम द्वारा जो मिट्टी चांद से लायी गई थी, उस मिट्टी को पाने के लिए इस रिसर्च टीम ने 11 सालों के दौरान नासा में तीन पर एप्लाई किया । जिसके बाद इन्हें नासा ने 12 ग्राम चांद की मिट्टी लोन के रूप में दी, जो चाय के कुछ चम्मच के बराबर थी। इसके बाद टीम ने प्लास्टिक का छोटा सा लूनर गार्डन बनाने की कोशिश की। इस प्लास्टिक गार्डन के छोटे छोटे कुओं में करीब एक ग्राम मिट्टी भरी गई, फिर उसमें पानी, जरूरी न्यूट्रीशंस और अरबिडोप्सिस पौधे के बीज बोए और प्रकाश में रखने के बाद, इसके रिजल्ट रिकॉर्ड किए। शोधकर्ताओं ने पाया कि चंद्र मिट्टी में लगाए गए लगभग सभी बीज अंकुरित होने में सक्षम थे। जिसे देखकर हम चकित रह गए।
वैज्ञानिकों ने रच दिया नया इतिहास
पॉल और फर्ल ने मिलकर मिट्टी को चार अलग-अलग हिस्सों में बांटा. उसमें पानी और पोषक तत्वों वाला तरल पदार्थ डाला. जो चांद की मिट्टी में नहीं होता. इसके बाद उनमें आर्बिडोप्सिस (Arabidopsis) के बीज डाल दिए गए. कुछ दिनों के बाद बीज ने उस मिट्टी में पनपना शुरु कर दिया. इतनी कम मिट्टी में भी बीज का पौधा बनना आसान काम नहीं होता.