Lumpy Skin Disease: केवल गाय नहीं, अब ये बीमारी बैलों और भैंसों में भी फैल कर महामारी के रूप ले रही !

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Lumpy Skin Disease: देश के कई राज्यों से लंपी वायरस की वजह से बड़ी संख्या में गो-वंश के मौत की खबर आ रही है। राजस्थान के 11 जिलों में फैलने की खबर आ रही है। साढ़े तीन हजार गो-वंश की मौत हो चुकी है। पंजाब से भी इस बीमारी के फैलने की खबर आ रही है। यह वायरस कहां से आया और रोकथाम के लिए क्या उपाय है, इस बारे में दैनिक जागरण ने हिसार स्थित लाला लाजपत राय वेटनरी यूनिवर्सिटी आफ एनिमल साइंस (लुवास) के पूर्व डायरेक्टर डीन डा. संदीप गेरा से चर्चा की।

क्या है LSD?
लंपी स्किन डिजीज मवेशियों और जल भैंसों (Water Buffalo) में होने वाली एक वायरल बीमारी है. हालांकि इस बीमारी की मृत्यु दर कम है, पर इसकी वजह से पशु कल्याण और उन मवेशियों द्वारा किए जाने वाले जरूरी उत्पादन में भारी नुकसान हो सकते हैं. खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, LSD का मृत्यु डर 10% से कम है. यह रोग, मुख्य रूप से कीड़ों के काटने से फैलता है जैसे कुछ प्रजातियों की मक्खियां, मच्छर और टिक. टिक माने चिचड़ी या किलनी.

इस रोग से ग्रसित पशु को बुखार हो जाता है, त्वचा पर गांठ हो जाती हैं. इसकी वजह से मृत्यु भी हो सकती है, ख़ास तौर पर उन जानवरों में जो वायरस के संपर्क में पहले नहीं आए हैं. लंपी वायरस, तीन में से एक प्रजाति है जीनस कैप्रीपॉक्सवायरस (capripoxvirus) की. बाकी दो हैं शीपपॉक्स और गोटपॉक्स. कैप्रीपॉक्सवायरस (CaPV) सभी एनिमल पॉक्स वायरसों में सबसे गंभीर है.

वायरस को जीवित रहने और अपनी संख्या बढ़ाने के लिए होस्ट की जरूरत होती है. उस होस्ट के बगैर वायरस पनप नहीं सकता. भेड़, बकरी, मवेशी, चमगादड़ बाकी जीव-जन्तु प्राकृतिक तौर पर वायरसों के लिए होस्ट का काम करते हैं.

यह कैसे फैलता है?
यह मच्छर या खून पीने वाले कीड़ों से फैलता है। आम तौर पर गाय या भैैंस के तबेलों में पड़े रहने वाला खाद और दूषित पानी में पनपने वाले मच्छरों से ही यह वायरस फैलने का खतरा रहता है।

सबसे पहले कहां पाया गया लंपी वायरस?
यह वायरस लगभग 30-35 साल पहले अफ्रीका में पाया गया था। बीते 10-15 सालों में इसने दक्षिण अफ्रीका के घाना सहित अन्य इलाकों में महामारी का रूप ले लिया था। तीन साल पहले यह वायरस पहली बार भारत में पाया गया। अब इसने महामारी का रूप ले लिया है। अब यह बरसात के मौसम से पहले हर साल ही फैलेगा।

रोकथाम के क्या उपाय हैं?
तीन तरह की वैक्सीन उपलब्ध है। गोट पाक्स, शीप पाक्स और लंपी पाक्स। गोट पाक्स (बकरियों में होने वाला पाक्स) और शीप पाक्स (भेड़ों में होने वाला पाक्स ) की वैक्सीन भारत में उपलब्ध है, जबकि लंपी पाक्स की वैक्सीन भारत में अभी नहीं बनी है। कीनिया ने इसकी वैक्सीन तैयार कर ली है। भारत को यह आयात करना पड़ेगा।

यह वैक्सीन कैसे काम करती है
गो-वंश में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली बी और टी सेल होती है। इस वैक्सीन के जरिये पशुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा दी जाती है तो वायरस का असर कम हो जाता है, ठीक कोरोना वैक्सीन की तरह।

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